प्लेराइट में जाने माने खिलाड़ियों ने खेलों और संबंधित विषयों पर की सकारात्मक एवं विस्तृत चर्चा…

विनोद कुमार/चंडीगढ़। प्लेराइट, भारत का एक प्रमुख स्पोर्ट्स लिटरेचर फेस्टिवल आज यहां होटल हयात रीजेंसी में शुरू हुआ। स्पोर्ट्स लिट फेस्ट के तीसरे संस्करण में, खेल प्रेमियों द्वारा खेलों और खिलाड़ियों से संबंधित विभिन्न विषयों पर वरिष्ठ खिलाड़ियों और युवा खिलाड़ियों द्वारा अलग अलग सेशंस में सकारात्मक चर्चा की गई। इस मौके पर श्री ओ.पी.सिंह, आईपीएस, प्रिंसिपल सचिव, खेल, हरियाणा सरकार मुख्यातिथि के तौर पर उपस्थित थे।
ओलंपिक
ड्रीम्स नाम के पहले सेशन को प्लेराइट के संस्थापकों में से एक विवेक
अत्रे, पूर्व आईएएस अधिकाी, प्रमुख प्रेरक वक्ता और लेखक, द्वारा शुरू किया
गया था। इस सेशन में आमिर खान की फिल्म दंगल की असली स्टार बबीता कुमारी
फोगाट, जो एक प्रसिद्ध महिला पहलवान थीं, जिन्होंने 2014 के कॉमनवेल्थ
खेलों में स्वर्ण पदक जीता, प्रमुख तौर पर शामिल थीं।
श्रोताओं से
खचाखच भरे हॉल में अपने बचपन की कहानियों को सुनाते हुए, फोगाट ने कहा कि
अगर उसके पिता उनके खेल को लेकर इतने सख्त नहीं होते तो, आज वह इस मुकाम पर
नहीं होती, जिस पर वह आज है। शायद, वहं, एक शर्मीली लड़की के तौर पर घर की
चार-दीवारों तक ही सीमित रह जाती, लेकिन उनके पिता ने हमेशा उनको खेलने के
लिए प्रोत्साहित किया।
फोगाट ने कहा कि ‘‘दंगल फिल्म में चीजों को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं दिखाया गया है। वास्तव में, मुझे और मेरी बहनों को मेरे सख्त पिता जी द्वारा पारिवारिक शादियों में शामिल होने की अनुमति नहीं थी, अगर वे हमारे प्रशिक्षण के बीच में आती तो। हमारे पास बचने का कोई रास्ता नहीं था, जब आपके पिता आपके कोच हो तो, दाएं-बाएं बच निकलने का कोई रास्ता नहीं होता है।’’
अपने अतीत को याद दिलाते हुए, उन्होंने यह भी बताया कि कैसे वह अक्सर अपनी मां से पूछती थी कि उसके पिता के द्वारा उनकी जिंदगी इतनी सख्त और कठिन क्यों बनाई गई है।’’ मेरी मां बस जवाब देती कि ‘‘बस, 2 साल और’’ (बस दो और सालों के लिए प्रतीक्षा करें)। यह तब तक जारी रहा जब तक मैं उस स्थान पर नहीं पहुंच गई, जहां मेरे पिता मुझे देखना चाहते थे।
बबीता ने इस बारे में भी बात की कि उनके अपने गांव के लोग कैसे उन्हें और उनकी बहनों को शॉर्ट्स पहनने और लड़कों के बीच खेलने के लिए ताना मारेंगे। हालांकि, ऐसे मौके पर, मेरे पिता बस इतना ही कहते कि ‘‘आप सिर्फ कड़ी मेहनत करते रहो, बाकी बाकी सब मुझ पर छोड़ दो।’’
प्लेराइट में, फोगाट के साथ उनके पति विवेक सुहाग भी थे, जो खुद एक पहलवान थे। जब उससे पूछा गया कि क्या शादी के बाद उसका जीवन किसी भी तरह से बदल गया है, तो उसने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि वह वास्तव में भाग्यशाली है कि उसे अपने पिता जैसा पति मिला है जो उसके लिए बेहद सहायक है। वे हर कदम पर उनका साथ देते हैं।
अगले सेशन को ‘द बिजनेस ऑफ स्पोर्ट्स’ का नाम दिया गया था, जिसका संचालन प्लेराइट के सह-संस्थापक चितरंजन अग्रवाल ने किया था और इसमें 2008 से एक प्रसिद्ध स्पोर्ट्स क्विजमास्टर और आईपीएल के कोलकाता नाइट राइडर्स का हिस्सा जॉय भट्टाचार्य शामिल थे।